समाज की सत्य घटनाएं
एक मजदूर का बेटा कर्नाटक मे एक जिला है जिसमे एक गाँव तालुक है। उसमें एक राजू नाम का लड़का था उसको उसके पिता ने बचपन मे ही उसे छोड़कर वो बंगलेरु चले गये। राजू ने अपना जीवन चलाने के लिए अपने भाई-बहन व माँ के साथ मजदूरी करता था। प्रत्येक दिन स्कूल जाते समय बच्चों को देखता, तो सोचता कि मैं स्कूल क्यों नही जा सकता हूँ। कुछ वर्ष बाद राजू के पिता वापस आये और उन्होने दूसरी शादी भी कर ली थी। फिर वो राजू को अपने साथ बंगलेरु ले गये वहां राजू की सौतेली मां ने राजू का स्कूल में दाखिला करा दिया। लेकिन राजू को स्कूल बाद घंटो अपने पिता के साथ काम करना पड़ता था। सामाजिक क्षेत्र मे परास्नातक के बाद राजू कई संगठनो के साथ काम किया। बंगलेरु मे जब भी सड़क पर घूमता या बिल्डिगों के लिये काम करने वाले बच्चों को देखता तो उसे अपना संघर्ष याद आता और उसके आँखो मे आँसू आ जाते इसलिए राजू ने ऐसे बच्चों के लिए एक स्कूल खोला जिसमे पाठ्यक्रम की पढाई के साथ-साथ वे रच
नात्मक शिक्षा भी हासिल कर रहे हैं।
नात्मक शिक्षा भी हासिल कर रहे हैं।
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