समाज में फैल रही हैं कैंसर की तरह दुष्कर्म की घटनाएं

समाज में दुष्कर्म
 

समाज में फैल रही हैं कैंसर की तरह दुष्कर्म वो एक दिन था जब इन्सान में नारायण का वाश था लेकिन आज उस इन्सान पर हैवान हावी है।एक वो दौर था जब आर्दशों नैतिक मूल्यों और संवेदनाओ से युक्त चरित्र किसी सभ्यता की नीव होते थे।लेकिन आज का सामाज तो हैवानियत पर खडा़ है,वो कल की बात थी जब इन्सान अपने इन्सानियत पर गुरूर करता था। लेकिन आज का इन्सान वो खुद से ही शर्मिन्दा है।क्योकि आज उसे अपने अन्दर के शैतान के लिये न उम्र की सीमा है न शर्म का कोई लिहाज पाँच साल की बच्ची हो य पाँच महीने की कोई फर्क नही पड़ता है। मासूमियत को तार -तार करने को हावी हो जाता है

एसीघटनाएं आज हमारे समाज का हिस्सा बन चुकी है।एसीघटनाएं केवल एक खबर के रुप में अखबरों की सुर्खियां बनकर रह जाती है समाज मे आखिर क्यों एक बच्ची पलक झपकते ही अपने घर के सामने से लापता हो जाती और दो दिन बाद उसकी संदिग्ध हालत मे उसकी लाश मिलती है। बच्ची के साथ दुष्कर्म करके उसके बाद उसकी हत्या करके उसके चेहरे को ईंट प्तथरों से इस तरह खराब कर देते है। कि पहचानना मुश्किल हो जाता है और उसे नदी य तालाब मे फेक देते हैं।

क्यों हमारी बच्चियां दर्द सह रही हैं

एक आठवीं व बारहवीं मे पढ़ने वाली छात्रा छेड़छाड़ से इतना परेशान हो जाती है।तो आत्म हत्या भी कर लेती है।क्योकि तेरह चौदह साल की हमारी बेटियां एक बच्चे को जन्म देने की पीड़ा बर्दास्त नही कर सकती है क्या एसी घटनाओ का जिम्मेदार केवल वारदात करने वाला आरोपी ही जिम्मेदार होता है जी नही पूरा समाज जिम्मेदार होता है।वो मां भी जिम्मेदार होती है जो अपने पुत्र को अच्छे संस्कार नही दे पायी। और वो पिता भी जिम्मेदार होता है जो अपने बेटे को नारी जाति की इज्जत करना नही सिखा पाया वो परिवार जिम्मेदार होता है जो अपने घर के बर्तन गहने तक बेचकर अपने दुष्कर्मी बेटे को कानून के सिकंजे से छुड़ा लाते है।चंद पैसो के खातिर अपनी कानून की पढाई का पूरा उपयोग उस अत्याचारी को फांसी के फंदे से छुड़ाने मे लगा देते है भृष्ट आचरण के वशीभूत केश को कमजोर करने का काम कृती है वो डाक्टर जिम्मेदार होते हैं।

खत्म होता जा रहा कानून का डर

2012 मे निर्भया काण्ड के दोषियों को हाईकोर्ट ,सप्रीमकोर्ट और  राष्ट्रपति के द्वारा उनको फांसी की सजा बरकरार रखने के वावजूद आज तक फांसी नही दी गयी है।शायद इसलिए कानून का डर आज खत्म होता जा रहा है।नही तो क्या कारण है कि अलीगढ़ की इस दिल को दहला देने वाली शख्स इससे पहले 2014 मे अपनी बेटी के साथ बलात्कार करने के वावजूद फिर दुबारा एक और लड़की के साथ उसी अपराध को और अधिक हैवानियत के साथ फिर से किया।वो तब जब अपने ही क्षेत्र के थाने मे उसके खिलाफ यू पी गुण्डा एक्ट मे तीन -तीन मुकदमे दर्ज हों कानून और न्याय की इसी अव्यावस्था के कारण बलात्कार जैसी घटनाएं अब समाज का कैंसर बनती जा रही हैं।
 


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