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Showing posts from April, 2021

समाज की सत्य घटनाएं

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एक मजदूर का बेटा   कर्नाटक मे एक जिला है जिसमे एक गाँव तालुक है। उसमें एक राजू नाम का लड़का था उसको उसके पिता ने बचपन मे ही उसे छोड़कर वो बंगलेरु चले गये। राजू ने अपना जीवन चलाने के लिए अपने भाई-बहन व माँ के साथ मजदूरी करता था। प्रत्येक दिन स्कूल जाते समय बच्चों को देखता, तो सोचता कि मैं स्कूल क्यों नही जा सकता हूँ। कुछ वर्ष बाद राजू के पिता वापस आये और उन्होने दूसरी शादी भी कर ली थी। फिर वो राजू को अपने साथ बंगलेरु ले गये वहां राजू की सौतेली मां ने राजू का स्कूल में दाखिला करा दिया। लेकिन राजू को स्कूल बाद घंटो अपने पिता के साथ काम करना पड़ता था। सामाजिक क्षेत्र मे परास्नातक के बाद राजू कई संगठनो के साथ काम किया। बंगलेरु मे जब भी सड़क पर घूमता या बिल्डिगों के लिये काम करने वाले बच्चों को देखता तो उसे अपना संघर्ष याद आता और उसके आँखो मे आँसू आ जाते इसलिए राजू ने ऐसे बच्चों के लिए एक स्कूल खोला जिसमे पाठ्यक्रम की पढाई के साथ-साथ वे रच नात्मक शिक्षा भी हासिल कर रहे हैं।

अंतर्दष्टि हमारा जीवन बदल देती है

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 अंतर्दष्टि हमारा जीवन  चीजो को वैसी ही मत मान लेना, जैसी वे दिखाई पड़ती हैं। उनके भीतर बहुत कुछ है। एक आदमी मर जाता है। हमने कहा,आदमी मर गया।जिस आदमी नेइस बात को यही समझकर छोड़ दिया, उसके पास अंतर्दृष्टि नही है।गौतम बुद्ध एक महोत्सव मे भाग लेने जाते थे।रास्ते मे उनके रथ मे उनका सारथी था।और वह थे और उन्होने एक बूढे आदमी को देखा।वह उन्होने पहला बूढ़ा देखा।जब गौतम बुद्ध का जन्म हुआ,तो ज्योतिषियों ने उनके पिता को कहा कि यह व्यक्ति बड़ा होकर या तो चक्रवर्ती सम्राट होग और या संन्यासी हो जायेगा।उनके पिता ने पूछा कि मै इसे संन्यासी होने से कैसे रोक सकता हूँ। ज्योतिषी की अद्भुत बात उस ज्योतिषी ने कहा,अगर इसे सन्यासी होने से रोकना है,तो इसे ऐसे मौके मत देना,जिससे इसमे अंतदृष्टि पैदा हो जाए तो पिता ने कहा ये तो बड़ा मुश्किल है क्या करेगे उस ज्योतिषी ने कहा इसकी बगिया मे फूल कुम्हलाने से पहले अलग कर देना।यह कभी कुम्हलाया हुआ फूल न देख सके क्योकि यह कुम्हलाया हुआ फूल देखते ही पूछेगा क्या फूल कुम्हला जाता है,और यह पू छेगा क्या मै भी कुम्हला जाउँगा,और इसमे अंर्तदृष्टि पैदा हो जायेगी इसके आस -पास...

Son of labor

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 The son of a laborer is a district in Karnataka which has a village taluk.  There was a boy named Raju in it, his father left him in childhood and went to Bangaluru.  Raju used to work with his siblings and mother to run his life.  Every day, while going to school, I would see the children, so I would wonder why I could not go to school.  A few years later, Raju's father came back and had also remarried.  Then he took Raju with him to Bangaluru where Raju's step mother got Raju admitted to school.  But Raju had to work with his father for hours after school.  After his Masters in Social Sector, Raju worked with many organizations.  Whenever he used to roam on the street or see children working for building in Bangalore, he would remember his struggle and would get tears in his eyes, so Raju opened a school for such children, in which he was creative as well as studying the curriculum.  They are also getting education.

रायबरेली के विजय सिह की आप बीती

आप बीती - विजय सिह एक साधारण  ब्याक्ति हूँ और  एक  कैटर्स भी है ।मुझे अपने परिवार का खर्च चलाने के लिये एक होटल में नौकरी करता हूँ। उससे मेरे परिवार का खर्च पूरा नही हो रहा है।क्योकि मेरे बच्चों की पढाई- लिखाई के कारण मेरा खर्च बढता जा रहा था तभी एक दिन कार्तिक पूणिमा के दिन मेरे बडे़ भाई का एक  ट्रक से टक्कर हो जाने से उनकी तत्काल मृत्यु हो गयी ।उसी दिन पाँच घंटे बाद मेरे पिता की अचानक मृत्यु हो गयी। और ६ महीने बाद मैने अपने पिता व भाई की तेरवीं एवं अन्य सभी सामाजिक संस्कारों करवाने के बाद मेरी और भी यथा स्थिती बिगडती गयी। और मेरे बडे़ भाई कैंसर हो गया है। इसी कारण से मै बहुत परेशान हूँ,और उनका इलाज नही करा पा रहा हूँ। मेरी समझ मे नही आता कि मै क्या करु न मेरे पास इतना पैसा नही कि उनका इलाज करा सकूं। और जिस भाई की एक्सीडेन्ट मे मृत्यु हो गयी थी उनके दो बच्चे भी है उनका भी खर्च हमे चलाना पड़ता है। कहीं से भी कोई आय का स्रोत नही है और मेरे भाई का एक्सीडेन्ट क्लेम भी नही मिला।